मूलबंध कैसे करें मर्दाना कमजोरी को मूलबंध से ठीक करें

इस पोस्ट में हम जानेंगे कि मूलबंध क्या है और मूलबंध कैसे करें। ये पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि आप जिस आसन के बारे में पढ़ने के लिए इस पोस्ट में आए हैं वो आसन या योग इतना प्रभावशाली है कि आपके जीवन को बदल सकता है या ये कहें कि आपको बड़े-बड़े बीमारियों से मुक्त कर सकता है साथ ही आपके गृहस्थी जीवन को भी बहाल कर सकता है।

आजकल बहुत से नौजवान यौन संबंधी बीमारीयों से ग्रसित है और कुछ तो शादी होने के बाद इनफटिलीटी के समस्याओं के कारण अपने पत्नी को खुश नही रख पाते हैं या संतान पैदा करने में भी असमर्थ होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है मूलबंध आपके इन सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है।

इस पोस्ट का मेन मकसद उन युवाओं को मूलबंध सिखा कर शारीरिक कमजोरी को दूर करने एवं गृहस्थ जीवन में खर्च हुए वीर्य का रिकवरी करने के लिए एक रामबाण उपाय है।

वैसे तो मुलबंध या अन्य योग और प्राणायाम हजारों साल पहले से चला आ रहा है लेकिन वर्तमान में योग और प्राणायाम को लोग भूल चुके थे और इसे पुनः जागृत करने के लिए योग गुरु स्वामी रामदेव जी ने देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में टीवी चैनल एवं सोशल प्लेटफॉर्म के माध्यम से घर-घर तक योग और आयुर्वेद को पहुंचा दिया।

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मूलबंध क्या है?

मूलबंध एक आसन है या इसे हम प्राणायाम भी कह सकते हैं और इसे सिद्धासन में या अन्य किसी भी आसन में बैठकर किया जाता है। मूलबंध को किसी भी आसन के साथ में कर सकते हैं उदाहरण के लिए अगर आप कपालभाती कर रहे हैं तो भी मूलबंध लगाकर कर सकते हैं।

बहुत से लोग 1-1 आसन या 1-1 प्राणायाम करते हैं लेकिन स्वामी रामदेव जी का कहना है कि हर आसन के साथ हम प्राणायाम भी कर सकते हैं और प्राणायाम के साथ आसन भी कर सकते हैं। उदाहरण के लिए आप अनुलोम-विलोम कर रहे हैं तो मूलबंध लगाकर कर सकते हैं इससे आपको डबल फायदा मिलेगा।

इसके अलावा आप कोई पेट के लिए आसन कर रहे हैं तो भी मूलबंध लगाकर ही आसन को कर सकते हैं और साथ में प्राणायाम भी कर सकते हैं तो ऐसे करके आपको तीनों तरफ से फायदा मिलता रहेगा।

मूलबंध कैसे करें

मूलबंध का नाम सुनकर कुछ लोगों को ऐसा लगेगा कि ये बहुत जटिल प्रक्रिया है लेकिन जब आप इसे करना शुरू करेंगे तो पता चलेगा कि ये तो बहुत ही आसान है और आप सिर्फ 1 मिनट का अभ्यास करके इसे लगाना शुरू कर सकते हैं और इसका लाभ लेना शुरू कर सकते हैं।

मूलबंध कैसे करें इसके लिए हम नीचे कुछ स्टेप्स में आप को समझाने की कोशिश कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि इन आसान स्टेप्स को पढ़कर आप मूलबंध लगाना सीख लेंगे इसके लिए नीचे बताए गए चरणों को पढ़ें।

  • सबसे पहले सिद्धासन में बैठ जाएं।
  • अब गुदाद्वार को अंदर के तरफ खींचे।
  • बस लग गया मूलबंध।
  • गुदाद्वार यानी मल त्यागने वाला रास्ता या गांव के भाषा में बोलें तो पैखाना करने वाला रास्ता को ही गुदाद्वार बोला जाता है।
  • गुदाद्वार को अंदर के तरफ खींच कर रखना ही मूलबंध कहलाता है।
  • यानी जब आप सौच करते हैं और सौच पूरा हो जाता है तो लास्ट में गुदाद्वार को अंदर खींचते हैं उसके बाद ही धोते हैं तो आप कुछ सेकंड्स के लिए मूलबंध लगाते हैं।
  • अब आप ये समझ गए होंगे कि मूलबंध कैसे लगाया जाता है।

शुरुआती में आप 10 से 20 सेकंड तक ही मूलबंध लगा पाएंगे फिर छोड़ना पड़ता है क्योंकि इससे ज्यादा देर तक आप गुदाद्वार को खींचकर नहीं रख पाएंगे क्योंकि आपका अभ्यास नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ने पर आप एक से 2 मिनट या फिर 5 से 10 मिनट भी मूलबंध लगा सकते हैं।

ज्यादा बड़ा बीमारी होने पर ज्यादा देर तक आसन या प्राणायाम किया जाता है वैसे ही आप मूलबंध को भी रोज कम से कम 5 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 20 मिनट तक लगाने का अभ्यास करें।

सिर्फ मूलबंध लगाना कठिन हो सकता है लेकिन आप कपालभाति या भस्त्रिका प्राणायाम या अनुलोम विलोम प्राणायाम करते हुए मूलबंध लगाएं इसमें आप ज्यादा देर तक लगाने का अभ्यास कर पाएंगे।

स्वामी रामदेव जी का कहना है कि वो सुबह दौड़ते हैं तो भी मूलबंध लगाए रहते हैं और आसन या प्राणायाम करते हैं तो भी मूलबंध लगाते हैं और ऐसे करके वो अपना ब्रह्मचर्य का पालन बहुत आसानी से कर लेते हैं।

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मूलबंध के फायदे

मूलबंध लगाकर आप उर्दरेता बन सकते हैं, गृहस्थ लोग मूलबंध लगाकर गृहस्ती में खर्च हुए वीर्य का रिकवरी बहुत तेजी से कर सकते हैं। इसके अलावा यौन संबंधी बीमारियों से जूझ रहे नौजवान मूलबंध लगाकर अपने आप को स्वस्थ कर सकता है।

अगर आप ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हैं तो रोज 10 से 20 मिनट या आधा से एक घंटा तक मूलबंध लगाकर बहुत ही आसानी से ब्रह्मचर्य का पालन कर सकते हैं।

आप जो भी प्राणायाम या आसन करें तो मूलबंध लगाए रखें ऐसे में आप ज्यादा से ज्यादा देर तक मूलबंध लगा पाएंगे और इसका अद्भुत फायदे का लाभ ले पाएंगे।

यौन रोगी मूलबंध के साथ उड्यानबंध और जालंधर बंध भी लगाएं इसे हम वाह्य प्राणायाम कहते हैं या तीन बंध भी कहा जाता है और इससे बड़ा से बड़ा यौन रोगों में तुरंत लाभ मिलता है।

मूलबंध कब लगाएं?

मूलबंध को आप कभी भी लगा सकते हैं सुबह योगा प्राणायाम करते समय लगा कर रखें। अगर दोपहर में भी आपके पास समय मिलता है तो खाना से पहले कपालभाति करते समय मूलबंध लगाकर रखें और खाना खाने के आधा से 1 घंटे बाद अनुलोम विलोम करते समय भी मूलबंध लगाकर रखें।

शाम को भी खाना से पहले किसी भी तरह का योगा और प्राणायाम करते समय मूलबंध लगा कर रख सकते हैं और रात में सोने से पहले भी 10 मिनट से लेकर आधा घंटा तक अनुलोम विलोम करते समय भी मूलबंध लगा सकते हैं।

कुल मिलाकर आपको रोज कम से कम 10 से 20 मिनट और ज्यादा से ज्यादा 1 घंटा तक मूलबंध लगा सकते हैं। स्वामी रामदेव जी छोटे रोगों में कम प्राणायाम या आसन करवाते हैं और बड़े रोगों में ज्यादा से ज्यादा प्राणायाम और आसन करवाते हैं इससे बड़े-बड़े रोग जल्द से जल्द ठीक होता है।

निष्कर्ष

योग और प्राणायाम बचपन से ही बच्चों को करने के लिए सिखा देना चाहिए क्योंकि इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है स्वस्थ रहने के लिए। अगर आप लंबे समय तक स्वस्थ होकर जीना चाहते हैं तो बिना योग प्राणायाम और आयुर्वेद का संभव नहीं हो सकता है।

हमें उम्मीद है ये पोस्ट मूलबंध कैसे करें को पढ़कर आप मूलबंध लगाना सीख लिए होंगे और आने वाले समय में इसका लाभ पाकर स्वस्थ हो पाएंगे और खुश रहेंगे। अपना सवाल या सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर रखें ताकि हमें आपके सवालों का जवाब देने का मौका मिले धन्यवाद।

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