इस पोस्ट में हम जानेंगे कि सिंगी चिकित्सा क्या है ये थेरेपी कैसे काम करता है और रक्तमोक्षण से कैसे हमारे शरीर से दर्द एवं अन्य रोग गायब हो जाते हैं।
Singi therapy का नाम आपने कई बार सुना होगा ये एक बहुत ही पुरानी चिकित्सा पद्धति है लेकिन अभी के समय में इस पद्धति को धीरे धीरे बहुत से लोग अपना रहे हैं।
सिंगी एवं लीच थेरेपी इन दोनों का काम एक ही होता है जिस तरह से लिखने के लिए कई तरह के पेन का उपयोग किए जाते हैं वैसे ही एक ही काम को करने के लिए इन दोनों थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।
सिंगी थेरेपी क्या है ये कैसे काम करता है एवं इसके द्वारा चिकित्सा कैसे दी जाती है इन सभी प्रश्नों का उत्तर पढ़ने के लिए इस पोस्ट को कंटिन्यू रखें।
सिंगी चिकित्सा क्या है?
आज से करीब 2000 साल पहले महर्षि सुश्रुत हुआ करते थे जो रक्तमोक्षण के द्वारा लोगों का इलाज करते थे।
रक्तमोक्षण का मतलब शरीर के उस हिस्से से खराब खून को निकालना जिस हिस्से में तकलीफ है।
खराब खून को निकालने के लिए सिंगी का उपयोग किया जाता है या फिर इसके अलावा जोंक या लीच के द्वारा भी रक्तमोक्षण करके चिकित्सा की जाती है।
सिंगी थेरेपी करीब 5000 साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है। इसी चिकित्सा को रक्तमोक्षण भी कहा जाता है क्योंकि इसमें खून की सफाई हो जाती है।
पहले सिंगी चिकित्सा के चिकित्सक गांव-गांव में घूमकर लोगों का चिकित्सा किया करते थे लेकिन अब पतंजलि वैलनेस या योग ग्राम में वही सारे पुराने चिकित्सक लोगों का सेवा कर रहे हैं।
सिंगी चिकित्सा में एक जानवर के सिघ जैसा उपकरण होता है जिसको शरीर में लगाकर रक्तमोक्षण किया जाता है।
यानी शरीर के जिस हिस्से में दर्द होता है उस हिस्से पर सिंगी को लगाया जाता है, कुछ देर रखा जाता है और फिर वो उस जगह के खराब खून को अवशोषित कर लेती है।
कई कई साल पुराने हाथ पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में हो रहे दर्द को सिंगी थेरेपी के द्वारा कुछ ही क्षणों में ठीक कर दिया जाता है।
सिंगी चिकित्सा कैसे काम करता है?
हमारे शरीर में 5 लीटर के आस पास खून होता है और ये 1 मिनट में पूरे शरीर का चक्कर लगा लेता है।
जब हमारे शरीर के किसी हिस्से पर सींघी लगाया जाता है तो वो घूमते हुए खून के अंदर से ख़राब खून यानी टॉक्सिन को सोख लेता है।
ऐसे करके अगर सींघी को 10 मिनट तक लगा दिया जाता है तो वो हमारे शरीर में घूम रहे खुन से खराब खून को सोंख करके हमें स्वस्थ बना देता है।
क्योंकि 10 मिनट में हमारे शरीर में खून 10 चक्कर लगाता है और सिंगी हमारे खून को 10 बार सफाई करता है यानी उनके अंदर से टॉक्सिन को सोखता है।
हमारे शरीर के किसी एक भाग में सिंगी थेरेपी लगाया जाता है और हमारे शरीर में खून तेजी से घूमता रहता है तो उस घूमते हुए खून से सिंगी खराब खून को सोखता रहता है और ऐसे करके 1 मिनट में पूरा खून से खराब खून को सोख लेता है।
तो अगर सिंगी थेरेपी को 10 मिनट तक लगाए रखा जाए तो वो शरीर के पूरे खून से 10 बार टॉक्सिन यानी खराब खुन को सोखता है।
सिंधी को रक्तमोक्षण भी कहा जाता है यानी रक्त की सफाई या खून की सफाई।
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सिंगी थेरेपी कैसे लगाया जाता है?
शरीर के जिस हिस्से में सिंधी लगाना होता है वहां पर एक छोटे उपकरण के द्वारा हल्का-हल्का कट लगाया जाता है और फिर उस जगह पर सिंधी को चिपका दिया जाता है।
अब उसी छोटे-छोटे कट से सिंगी हमारे खून से खराब खून को धीरे-धीरे करके सोख लेता है।
सिंधी चिकित्सा पूरा हो जाने के बाद आदमी के शरीर पर लगे हुए कट को ठीक करने के लिए हल्दी एवं अन्य लेप को लगाया जाता है।
पतंजलि वैलनेस या योग ग्राम में सिंधी के चिकित्सक काफी अनुभवी होते हैं उन्हें कई सालों का अनुभव होता है।
हमने बहुत से लोगों से सुना है कि उनके हाथ पैर या शरीर के अन्य हिस्सों में कई साल से दर्द था और पतंजलि वैलनेस या योग ग्राम में सिर्फ एक से दो सिंधी लगवाते ही वो दर्द गायब हो गया।
सिंगी चिकित्सा का वर्णन पुराने ग्रंथों में भी किया गया है एवं उसी पद्धति के अनुसार आज भी सिंगी चिकित्सा होता है।
सिंगी थेरेपी को पतंजलि वैलनेस में लाइव होते हुए आप देख सकते हैं। इसके लिए नीचे दिए गए भारत स्वाभिमान के यूट्यूब चैनल पर भाई राकेश जी के साथ में इस वीडियो को देखें।
सिंगी कैसे बनाया जाता है?
अभी के समय में सिंगी तांबे का बना होता है लेकिन हजारों साल पहले हो सकता है किसी अन्य धातु या वस्तु से बनाया जाता हो।
तांबा के पतले चादर से गोलाकार सिंगी बना होता है जिसके एक तरफ पतला और दूसरी तरफ चौड़ा मुंह होता है।
सिंगी का जिस तरफ चौरा हिस्सा होता है उधर से ही रोगी के शरीर में चिपकाया जाता है एवं पतले वाले हिस्से से उसके अंदर के हवा को निकाला जाता है।
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जोंक या लीच के द्वारा रक्तमोक्षण
जिस तरह से सिंगी के द्वारा रक्तमोक्षण कर के रोगी का इलाज किया जाता है वैसे ही जोंक या लीच के द्वारा भी रक्तमोक्षण किया जाता है।
रोगी के शरीर के जिस हिस्से में तकलीफ होती है उस हिस्से से खराब खून को बाहर निकालने के लिए जोंक का उपयोग किया जाता है।
रक्तमोक्षण के द्वारा चिकित्सा अपने चिकित्सक के निगरानी में ही होनी चाहिए इसे स्वयं से ना करें।
सिंगी चिकित्सा के फायदे
अगर आपके शरीर के किसी हिस्से में वर्षों पुराना दर्द हो जैसे घुटना में दर्द एड़ी में दर्द या पीठ में दर्द तो इसका इलाज सिंगी के द्वारा तुरंत ही हो जाता है।
आपके शरीर के जिस भी हिस्से में दर्द होता है वहां पर एक से दो सिंगी लगाई जाती है और आप तुरंत ठीक हो जाते हैं।
शरीर में दर्द वात पित्त के बढ़ने से या खून के जम जाने से या खून के खराब हो जाने से होता है और इसके अलावा भी कई सारे कारण होते हैं।
तो जब सिंगी को दर्द वाले जगह पर लगाया जाता है तो वहां से जमा हुआ खून या खराब खून को सिंगी अपने अंदर खींच लेता है।
और खराब या जमा हुआ खून बाहर निकलते ही हमें दर्द से तुरंत ही राहत मिल जाती है।
सिंगी थेरेपी पूरा होने के बाद सिंगी लगाने वाले जगह पर लगाया गया कट को ठीक करने के लिए हल्दी या अन्य लेप लगाया जाता है।
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और अंत में
तो हमने इस पोस्ट में जाना की क्या होता है सिंगी थेरेपी एवं सिंगी चिकित्सा कैसे काम करता है। अगर अभी भी इस पोस्ट से जुड़ी कोई सवाल आपके पास रह गया हो तो नीचे कमेंट करके हमें बताएं।
और योग, आयुर्वेद और थेरेपी को अपनाएं और सदा स्वस्थ रहें खुश रहें।
Singi treatment kitna din kamyab hota hai
शरीर के जिस अंग पर दर्द होता है वहां पर सिंगी थेरेपी के द्वारा गंदे और जमे हुए खून को निकाल दिया जाता है।
I want to try this therapy on my pain points in the body. Please guide Where should I contact in Mumbai for Singi therapy ? I am 82 years old with pains in my right shoulder, upper arm, back of the the right thigh. Thank you, Parmatma bless you with the best of Health and Happiness. Om Shanti
शायद मुंबई में भी पतंजलि वैलनेस होना चाहिए आप पता कर लें, और अगर नहीं है तो फिर हरिद्वार के पतंजलि वैलनेस या योग ग्राम किसी में भी बुकिंग करा लीजिए
आप पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे यही मेरा भगवान से कामना है।
आपके जैसे सैकड़ों लोग पतंजलि वैलनेस और योग ग्राम में जाकर पूर्ण स्वस्थ होकर वापस आए हैं।
क्या सिंगी लगाने के लिए कट लगते वक्त उस जगह को सून करते हैं
सुन्न करते है या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन बहुत हल्का सा कट लगता है।