आजकल हर घर में हवन किया जा रहा है लेकिन हमारे कुछ पाठकों का एक सवाल है कि हवन कैसे करते हैं तो आइए हम यहां पर हवन करने के लिए क्या-क्या सामग्री लगता है और हवन कैसे करते हैं इसका विधि जानेंगे।
अभी तक सिर्फ किसी विशेष पूजा पाठ या कथा होने पर ही हवन किया जाता था लेकिन अब हर घर हवन होने लगा है और स्वामी रामदेव जी ने हवन को हर घर तक पहुंचा दिए हैं।
अगर हम हवन को वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इसके कई सारे लाभ है और इससे कई सारी बीमारियां दूर होती है वातावरण शुद्ध होता है हमारे घर से नेगेटिव ऊर्जा समाप्त होता है और पॉजिटिव ऊर्जा का आगमन होता है।
आज कल हवन को कई सारे रोगों के इलाज के रूप में किया जा रहा है और पतंजलि ने अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग हवन सामग्री तैयार किया है।
उदाहरण के लिए अगर आपके पेट में गैस बनता है एसिडिटी की समस्या है वात रोग है तो आप अपने घर में पतंजलि में बना हुआ वातेष्टि हवन सामग्री से हवन करके इन बीमारियों में काफी लाभ पा सकते हैं।
ऐसे ही अगर आपको कफ का समस्या है जुकाम हो रखा है तो आप पतंजलि कफेष्टि हवन सामग्री से अपने घर में हवन करके इसमें काफी लाभ पा सकते हैं।
हवन कैसे करते हैं?
अभी तक हमने हवन करने के कई सारे फायदे के बारे में जान लिया है अब हम जानेंगे कि हवन कैसे करते हैं और इसके लिए कौन-कौन से सामग्री की आवश्यकता होती है।
हवन करने के लिए आप निम्नलिखित सामग्री को इकट्ठा करें।
हवन कुंड या धूप दानी
हवन कुंड वो होता है जिसके अंदर हम अग्नि जलाकर आहुति देते हैं। ये हवन कुंड पीतल या मिट्टी का बना हो सकता है।
हवन कुंड को आप ऑनलाइन अमेजॉन या फ्लिपकार्ट से मंगा सकते हैं या फिर आप अपने नजदीकी बाजार में जाकर मिट्टी का हवन कुंड भी ले सकते हैं ये ₹5 से लेकर 10 या ₹20 तक में मिल जाएगा।
हवन सामग्री
हवन सामग्री वो होता है जिसे हम अग्नि जलाने के बाद आहुति देते हैं बाजार में हवन सामग्री का पैकेट मिलता है जिसमें चंदन एवं अन्य जड़ी बूटियां डालकर बनाई गई होती है।
हम आपको यही सजेस्ट करेंगे कि आप पतंजलि से अपने रोग के अनुसार ही हवन सामग्री मंगाए, जैसे वात रोगों के लिए वातेष्टि, कफ रोगों के लिए कफेष्टि, हृदय रोगों के लिए ह्रदयेष्टि इत्यादि।
देसी कपुर
कपूर का इस्तेमाल शुरुआती में हवन के लिए अग्नि बनाने के काम में लिया जाता है। हवन कुंड में गोबर के उपले या पीपल के सुखा लकड़ी डालकर उसमें एक से दो पीस कपूर डालते हैं और फिर अग्नि जलाते हैं।
कपूर देसी होना चाहिए मिलावट वाला नहीं होना चाहिए। देसी एवं प्रीमियम कपूर के लिए आप पतंजलि स्टोर में जा सकते हैं या ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं।
गाय का शुद्ध घी
हवन में घी का इस्तेमाल होता है। हवन कुंड में गोबर के उपले या लकडी डालने के बाद उसके ऊपर घी डाला जाता है ताकि अग्नि जल सके एवं घी के हवन का भी अपना विशेष फायदा होता है।
बहुत से लोग दीप जलाने के लिए या हवन करने के लिए सस्ता घी खरीद लाते हैं लेकिन ध्यान रहे घी देसी होना चाहिए क्योंकि मिलावटी वाला घी जलाकर आप बीमार हो सकते हैं क्योंकि जब हवन होता है तो उसका धूम्र आपके नाक के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है।
जब आप गलत घी जलाएंगे तो उसका धुआ आपके नाक में जाकर आपके शरीर को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन अगर आप शुद्ध देसी घी जलाएंगे तो उसका धुआं आपके शरीर में जाकर आपको कई तरह के फायदे या लाभ पहुंचाएगा।
आप पतंजलि से गाय का देसी शुद्ध घी मंगा सकते हैं उसमें मिलावट नहीं होता है ऐसा स्वामी रामदेव जी के तरफ से बताया गया है और उस घी को आप खा भी सकते हैं और दीप जलाने के साथ हवन भी कर सकते हैं।
हवन के लिए समिधा
जलावन को ही समिधा कहा जाता है। जब आप हवन के लिए गाय के गोबर का बना हुआ उपला या पीपल के सुखा लकड़ी इकट्ठा करते हैं तो इसी को समिधा बोला जाता है।
हवन में समिधा के रूप में आप गाय का गोबर का उपला बना सकते हैं या फिर पीपल के सुखा लकड़ी भी ला सकते हैं।
घर में मातायें बहने गोबर का उपला जलावन के लिए बनाती है लेकिन उसमें भूसा डाला जाता है लेकिन हवन करने के लिए उपला बनाते समय भूसा ना डालें सिर्फ गाय का गोबर को ही उपला बनाएं।
हवन करने का तरीका
वैसे तो हवन कई मंत्रों उपचार के द्वारा किया जाता है लेकिन हम यहां पर सिंपल और साधारण सा हवन करने का तरीका बताएंगे जिसे करके आप कई सारे रोगों से छुटकारा पा सकेंगे।
- 1. सबसे पहले हवन कुंड को साफ करके हवन करने वाली जगह पर रखें।
- 2. अब हवन कुंड में एक से दो कपूर का टिक्की डालें।
- 3. अब समिधा के रूप में गाय के गोबर का बना उपला या पीपल के सुखा लकड़ी डालें।
- 4. अब कपूर में माचिस जलाकर अग्नि लगाएं।
- 5. अब जल रहे अग्नि पर और गोबर के उपले पर घी डालना शुरू करें ताकि जब कपूर खत्म हो जाए तो भी घी के द्वारा हवन की अग्नि जलती रहे।
- 6. अब आवश्यकता अनुसार हवन सामग्री जैसे वातेष्टि, कफेष्टि, ह्रिदयेष्टि या अन्य सामग्री को थोड़ा-थोड़ा करके डालना शुरू करें।
- 7. आधा से एक घंटा तक हवन जलता रहेगा फिर जब समीधा पूरी तरह से जल जाए और अग्नि बुझ जाए तो उसके ऊपर हवनव सामग्री का धुनी दें।
धुनी देना का मतलब हवन बुझ जाने पर भी उसमें आग होता है तो उसी के ऊपर थोड़ा थोड़ा हवन सामग्री के साथ घी को डाला जाता है ताकि उससे धूम्र निकले और वही धुम्र आपके नाक के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है और कई सारे रोगों का उपचार करता है।
घर के कमरे में हवन कैसे करें?
अगर आप घर के अंदर बंद कमरे में हवन करना चाहते हैं तो हवन करते समय कमरे का दरवाजा एवं खिड़की को खोल कर रखें ताकि हवन से निकला हुआ धूम्र खिड़की एवं दरवाजे से बाहर निकल जाए।
हवन कुंड से निकला हुआ धूम्र ही हमारे नाक में जाता है और फिर कई सारे रोगों का उपचार करता है लेकिन बंद कमरे में धूम्र बहुत ज्यादा इकट्ठा ना हो जाए इसलिए खिड़की एवं दरवाजे को खोल कर रखा जाता है।
योगा करते समय हवन करें
अगर आप सुबह योगा प्राणायाम करते हैं तो योगा करने से पहले हवन कर लिया करें और अपने पास में ही हवन कुंड को रखा करें और फिर वही पर योगा एवं प्राणायाम किया करें इससे आपको योगा करने का कई गुना ज्यादा लाभ मिलता है।
आप चाहें तो सुबह एवं शाम दोनों टाइम हवन कर सकते हैं और आप चाहे तो सिर्फ सुबह एक टाइम ही कर सकते हैं और अगर आपके पास समय की कमी है तो एक सप्ताह में एक से दो बार हवन जरूर किया करें।
हवन करने का अद्भुत लाभ
जैसे कि हमने ऊपर बताया हवन करने के अद्भुत लाभ होते हैं इससे कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है वातावरण शुद्ध होता है हमारे घर से नेगेटिव ऊर्जा समाप्त होती है और पॉजिटिव ऊर्जा का आगमन होता है।
अलग-अलग बीमारियों में अलग-अलग तरह के हवन सामग्री का उपयोग किया जाता है पतंजलि में कई तरह के हवन सामग्री बनाए गए हैं जो आपको अलग-अलग कई तरह की बीमारियों में लाभ पहुंचाता है।
हवन में डाला गया सामग्री अग्नि में जलकर धूम्र के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करता है और फिर हमारे शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाता है।
अगर आपका बजट बहुत कम है और आप हवन करने के लिए घी या हवन सामग्री नहीं खरीद पा रहे हैं तो कम से कम शुद्ध देसी घी का दिया जलाया करें।
देसी घी का दिया जलाने पर भी हमें उसका कई तरह के लाभ मिलते हैं। हर घर में मातायें एवं बहने दिया जलाती है लेकिन ये देखा गया है कि दिया जलाने के लिए लोग सस्ता घी खरीदते हैं।
लेकिन मिलावट वाला घी जलाने पर आपके शरीर को नुकसान हो सकता है और साथ ही वातावरण भी अशुद्ध होगा। जिस तरह से आप खाने के लिए शुद्धि घी के तलाश में रहते हैं वैसे ही हवन या दिया जलाने के लिए भी देसी शुद्धि घी का ही इस्तेमाल करें।
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निष्कर्ष
हमारे पूर्वज हमारे ऋषि मुनि नियमित रूप से हवन किया करते थे क्योंकि हवन से हमारा वातावरण शुद्ध होता है एवं घर में कलह समाप्त होती है और पॉजिटिव ऊर्जा आता है जो कि वर्तमान में हम इस विद्या को भूल सा गए थे।
लेकिन अब धीरे-धीरे स्वामी रामदेव जी के मार्गदर्शन में घर घर में हवन होने लगा है। आप भी हवन करने का नियम जरूर बनाएं और रोज नहीं तो सप्ताह में कम से कम 1 से 2 दिन हवन जरूर करें धन्यवाद।